मैने बहुत से इन्सान देखे हैं,
जिनके बदन पर लिबास नहीं होता।
और बहुत से लिबास देखे हैं,
जिनके अंदर इन्सान नहीं होता ।
कोई हालात नहीं समझता,
कोई जज़्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता...!!!
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