चल रहा था रास्ते पर अकेला
अचानक ठोकर लगी, और मैं गिर गया,
मैं खुश हुआ.... मैंने गिरना सीख लिया
यकीं ना था ऐसा होगा,
यकीं ना था ऐसा होगा,
हुआ फिर तो मैंने सम्भालना सीख लिया,
वक्त के हालातों के साथ खुद को बदलना सीख लिया,
फिर चल दिया आगे जिसपर देखूं तो कोई मंजिल नहीं दिखती,
दुनिया दिखती है
दुनिया के मतलबी लोगों की भीड़ दिखती है,
मुझे मतलबियों से मतलब क्या?
लेकिन उन से भी मिलना सीख लिया,
वक्त के तराजू में आचे और बुरे को पहचानना सीख गया।
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