"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

बात अजब... बड़ी न्यारी है, ये मतलब की दुनियादारी है

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बात अजब... बड़ी न्यारी है,
ये मतलब की दुनियादारी है,
सब, मोहजाल में फंसे हुए हैं,
अहंकार सर पर, कैसे हुए हैं,
भागम-भाग की है बस यारी… 
कुछ नहीं यहाँ… ये रिश्तेदारी,
..
एक दूसरे को देखकर जलते हैं,
बुरे लोग ही यहाँ... फलते हैं,
सामने से भलाई देते है जो… 
पीठ पीछे… बुराई भी वही करते हैं,
..
समझ नहीं आती मुझे उनकी… कोई भी …दिखावे की बातें,
फिर न जाने…क्यों बतलाते है…आदर्शों की बातें,
..
खूब मदद करो सबकी,
भलाई की जगह बुराई मिलेगी तब भी,
क्या करूँ …कहाँ जाऊं …मैं तो पहले ही हूँ बदनाम,
बेशक कोई जाने या न जाने मैं भी रहता हूँ परेशान
*** पीताम्बर शम्भू***

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।