"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

हिंदी हमारी मातृभाषा है, मात्र एक भाषा नहीं

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जितनी की है पढाई हमने.. जा रही है बेकार अब,
हिंदी आते हुए भी... अंग्रेजी बोल रहे है सब,

क्या मिलेगा सीखकर... इतनी अंग्रेजी... ज़िन्दगी में अब,
देशभक्ति की बात भी... अंग्रेजी में कर रहे है सब,

अस्तित्व नहीं कोई... जिस का .. (अंग्रेजी का)
उसे सीख कर... हमें फायदा क्या...??

चोरी के है... लगभग शब्द सभी...
जान कर भी पाया क्या...??

मुकाम है.. जा रहा कहाँ..??
था कभी भारत भी महां...

विश्व की अनमोल संस्कृति खोजो तो... मिलती है... हर जगह यहाँ,
लेकिन पाश्चात्य को भी दी है... सबसे जल्दी... इसी ने पनाह,

सब कारण अंग्रेजी का... जिसने देश का नाश किया,
१९४७ से लेकर अब तक... देश को लगभग बिकवा दिया,

नहीं सुनना... नहीं सुनना...
अब एक शब्द... भी अंग्रेजी का,

हिंदी अपनी... सबसे अच्छी...
लगता हर शब्द अपना-सा,

जितनी की है पढ़ाई हमने... ना जाने देंगे बेकार अब,
मर मिटेंगे हिंदी के ऊपर... अपने अस्तित्व की है बात अब,

ना सोचना बात है कोई... आज सुनी कल बदल जाएगी,
सोच ले अगर दिल से हर कोई... तो ही देश की बागडोर संभल पायेगी,

अंग्रेजी तो मिश्रित है... मैं मानता इसको कोई भाषा नहीं, 
लेकिन.. आप सब भी जान लो...
"हिंदी हमारी मातृभाषा है, मात्र एक भाषा नहीं"

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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