व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) मध्य प्रदेश में उन पदों की भर्तियां करता है, जिनकी भर्तियां म.प्र. लोक सेवा आयोग नहीं करता। साथ ही ये म.प्र. पीएमटी के माध्यम से मेडिकल कालेजों में प्रवेश सूची तैयार करता है।
व्यापम घोटाले में आरोप है कि कंप्यूटर सूची में हेराफेरी करके अनुचित तरीके से अपात्र लोगों को भर्ती कराया गया।
व्यापमं के माध्यम से संविदा शिक्षक वर्ग-1 और वर्ग-2 के अलावा कांस्टेबल, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी व नापतौल निरीक्षक आदि की भर्तियां की गईं।
व्यापम की तमाम भर्तियों में से करीब 1000 भर्तियों को संदिग्ध माना गया है। इन संदिग्ध भर्तियों की जांच की जा रही है।
आईपीएस अधिकारी व डीआईजी आरके शिवहरे को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि अपनी बेटी नेहा को प्री-पीजी मेडिकल में अनुचित तरीके से भर्ती कराया था।
अब तक पीएमटी परीक्षा में भर्तियों के मामले में अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के विनोद भंडारी आदि को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और उनके ओएसडी ओपी शुक्ला गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कांग्रेस ने हल्ला बोलते हुए कहा है कि भाजपा व संघ के कई नेताओं ने सिफारिश करके अनुचित तरीके से भर्तियां कराई हैं।
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े व्यापम भर्ती घोटाले से जुड़े 40 से ज्यादा आरोपियों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. यही वजह है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमलावर है और सीबीआई जांच की मांग कर रही है. व्यापम के तहत सरकारी नौकरियों और मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए हुआ था एक बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा.
55 केस, 2,530 आरोपियों और 1,980 गिरफ्तारियों के साथ इसे खूनी घोटाला भी कहा जाने लगा है. कितना बड़ा है मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाले इस बात का अंदाजा आपको लग गया होगा?
इस घोटाले से सबसे पहले पर्दा तब उठा जब 7 जुलाई, 2013 को मध्य प्रदेश के इंदौर में पीएमटी की प्रवेश परीक्षा में कुछ छात्र फर्जी नाम पर परीक्षा देते पकड़े गए.
इसके साथ ही पुलिस ने इसके मास्टरमाइंड डॉक्टर जगदीश सागर को गिरफ्तार किया. डॉक्टर जगदीश सागर की गिरफ्तकारी के बाद पता चला कि मध्य प्रदेश का व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम का दफ्तर इस धंधे का अहम अड्डा है.
"और बस फिर क्या था, शुरू हो गया व्यापम जांच का मामला जो अभी तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है "
updated on:- 5th July 2015
Post a Comment