"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

लालाजी - थोडा हस लीजिये ..(कहानी)

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गाँव की दुकान पर ग्वाले की लड़की जा कर कहती है, "लाला जी माँ ने एक किलो चीनी मंगाई है ! "

"ठीक है |" लाला ने चीनी देते हुए पूछा; "घी बनाया आज" ?
"जी लाला जी",---
"अच्छा एक किलो ले आना" !

लड़की घर जा कर कहती है "लाला जी ने घी मंगवाया है" |
एक किलो घी तोल कर लाला की दुकान पर पहुंचा दिया गया !

ज़रा ही देर में लाला जी ग्वाले के घर आ धमकते हैं, गुस्से से लाल पीले, लड़की सामने पड़ जाती है, "बुला अपनी माँ को ;"
"क्या हुआ लाला, इतने नाराज क्यों हो रहे हो ?"
"अरे मैं ही मिला बेवकूफ़ बनाने के लिए !"
"लाला कुछ बताओगे भी ?"
"एक किलो घी मंगवाया था, आठ सौ ग्राम निकला !"

"बस लाला इत्ती सी बात ! वो तो एक किलो का बट्टा कहीं दब गया, मिल नहीं रहा था, अभी अभी लड़की एक किलो चीनी लेकर आई थी ना, सो मैं ने तराजू पर रख कर घी तोल दिया ! "

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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