"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

संजीव चतुर्वेदी को रमन मैग्सेसे पुरूस्कार

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ये खबर शायद मोदी सरकार के चाहने वालों को अच्छी ना लगे। लेकिन बेमिसाल सत्यनिष्ठा, कर्मठता व सहस की उभरती नेतृत्वता के चलते संजीव चतुर्वेदी के पिछले पांच साल में बारह तबादले किये गए। संजीव चतुर्वेदी एम्स में कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए जाने जाते हैं और पिछले साल जब उन्हें एम्स के सीवीओ पद से हटाया गया तो बड़ा विवाद हुआ था। इस बात की केजरीवाल ने भी काफी आलोचना की थी कि "ऐसा नहीं होना चाहिए, कोई भ्रष्टाचार से लड़ रहा है उसकी मदद करो न की उसे खुद गलत ठहराओ।" चतुर्वेदी मूलत: हरियाणा काडर के अफसर हैं। वहां भी उन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चतुर्वेदी को अपने ओएसडी यानि ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर नियुक्त करने के लिए केंद्र से गुज़ारिश की है जो फिलहाल विचाराधीन है।

मगर इसी बीच ख़ुशी की बात ये है कि पुरस्कार की घोषणा करते हुए रमन मैगसायसाय अवार्ड फाउंडेशन ने संजीव चतुर्वेदी को भारत की जनता के लिए सरकार के ईमानदारी से काम करने को सुनिश्चित करने को लेकर उन्हें दृढ़ कौशल वाले कार्यक्रम और प्रणाली को बेहतर करने का भी श्रेय दिया। उन्हें पिछले साल अगस्त में एम्स के मुख्य सतर्कता आयुक्त के पद से हटा दिया गया था।

आलोचना के तौर पर,  मैं यहाँ मोदी सरकार की एक बड़ी गलती और भूल के रूप में देखता हूँ। जहाँ एक और तो वो कहते है, "न खाऊंगा न खाने दूंगा"। लेकिन जब कोई आपकी मदद कर रहा हो, भ्रष्टाचार का  भंडाफोड़ करने में और आप उसका तबादला कर दें। तो कहाँ गयी आपकी खाने ना खाने की नीयत? अब मुझे इंतज़ार तो है उस पल का जब मोदी जी कहेंगे कि संजीव चतुर्वेदी ने देश का नाम किया। अब कहेंगे कि नहीं कहेंगे ये तो वक़्त बताएगा, लेकिन नाम और गौरव तो बढ़ा ही है। 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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