सुना है, मध्य प्रदेश सरकार "व्यापम" का नाम बदलने की तैयारी में लगी हुई है। अरे भाई, नाम बदल देने से क्या होगा ?? व्यापम यानी "व्यावसायिक परीक्षा मंडल" का नाम बदलकर "मध्य प्रदेश प्रवेश एवं भर्ती परीक्षा मंडल" करने पर विचार किया जा रहा है।
किन्तु परन्तु विलम्ब होने से ये तो जाहिर होता ही है कि इस विचार पर अभी विचार ही किया जा रहा है। लेकिन मेरी मानें तो सरकार को विचार जरा सोच समझ कर ही कर लेने की जरुरत है। क्योकि जिसकी नाक के निचे इतना बड़ा घोटाला और विवाद हुआ उसके लिए सकारात्मक विचार की ज्यादा जरुरत है। जरुरत ये भी है कि इस महाघोटाले और महाहत्याकांड जिसमे न जाने कितने बेकसूरों, निर्दोषों की बिना बात जानें गयी, उनको भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बात कितनी गंभीर है, ये इससे लगा सकते हैं कि जब कोई नयी गुत्थी सुलझने वाली होती है........ तो सुलझने की जगह उसमें भी कईं नए नए मोड़ सामने आने लगते है।
"सी बी आई" के हाथों में केस आया तो लगा चलो..... अब कुछ हो सकता है। वरना पहले तो मनो सिर्फ खाना पूर्ति हो रही थी।
लेकिन अब ये व्यापम एक नया विवाद ले रहा है जब मध्य प्रदेश सरकार उसका नाम बदलने पर विचार कर रही है। पर मित्रों, नाम बदल देने से काम थोड़ी ना बदल जाते है, मुखौटे बदल देने से चेहरे थोड़ी ना बदल जाते है। वक्त और देश की मांग तो यही है कि सच आखिर कब तक सामने आता है.....?? और इन सब के पीछे आखिर किसका चेहरा है .…? वो देश के सामने आना बेहद जरूरी है।
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