आज का दिन विश्व इतिहास में एक अलग पहचान रखता है। जी हाँ, आज ही के दिन 6 अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर अपना पहला परमाणु हमला कर दहशत और त्रासदी की नयी मिसाल कायम की थी।
हिरोशिमा पर हमला क्यों किया गया ?
जापान के इस शहर पर परमाणु हमला करना अमरीकी सैनिकों की भी प्राथमिकता रही, उन्होंने अब तक हिरोशिमा को बाकी पहले चले हमले में निशाना नहीं बनाया था। और ऐसे में इस आबादी वाले शहर से परमाणु बम की विध्वंस क्षमता का भी पता लगाया जा सकता था। यही नहीं ये जापानी सेना का एक मुख्य केंद्र भी था जहाँ से संचार तंत्र चलाया जाता था।
इतिहास तो लिखा जाना बाकी था
अमरीका काफी समय से अपने परमाणु बम हमले को लेकर अपने कार्य में लगी थी। तथा ये माना जाता है की अमेरीका ने १९३९ में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के साथ ही मैनहैटन प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया था। जिसका एक सफल परीक्षण बाकी था।
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने गुप्त तरीके से सेना को परमाणु हमले की मंजूरी दी थी। मंजूरी से पहले अमेरिका ने जापान से समर्पण की पेशकश की थी और कहा- "समर्पण नहीं, तो अंजाम बुरा होगा।" लेकिन जापान के तानाशाह हेरोहितो ने बात को हलके में लिया।
अब इस बात पर करवाई करते हुए रात या कह लें कि सुबह के 2 बजकर 45 मिनट पर अमरीकी वायुसेना के बमवर्षक बी-29 'एनोला गे' ने उड़ान भरी और दिशा थी पश्चिम की ओर, लक्ष्य था जापान।
बस फिर क्या था "लिटिल बॉय" को तैयार किया गया, जो की अभी तक एक निष्क्रिय बम था उसमें बारूद के बैग भरकर प्लग के जरिये एक्टीवेट किया गया और "एनोला गे" नमक प्लेन में लाद दिया गया था।
अमरीकी सेना के उस क्रू मेंबर्स से हिरोशिमा का रुख किया।
अब समय के अनुसार सुबह के सवा आठ हो चुके थे, "एनोला गे" ने "लिटिल बॉय" छोड़ा गया। बम को पैराशूट के जरिये गिराया गया। करीब ५८० मीटर की ऊंचाई पर उसमें विस्फोट किया गया।
विस्फोट के बाद का मंजर
"एनोला गे" के क्रू मेंबर के अनुसार, "चंद सेकेण्ड में दृश्य कुछ ऐसा था जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी और न की जा सकती थी। शहर के ऊपर एक धुँए का गुब्बार फैला था, और आग ने तेजी से शहर को अपनी चपेट में ले लिया।"
अब हिरोशिमा में चारो और चीखें थी और त्रासदी का माहौल था .. उजाड़, वीरान और शमशान। करीब 70-80 हज़ार लोग तुरंत मर गए। आग इतनी व्यापक थी की तीन दिनों तक लगी रही। जो लोग तुरंत नहीं मरे थे वे परमाणु विकिरण का शिकार हो गए, और कुछ दिनों बाद वे भी मर गए। विकिरण का असर कई दशकों तक वहां नज़र आया, लोग आज भी विकलांग व अलग ढंग के पैदा होते हैं। इस विस्फोट/हमले में करीब 1,35,000 मौतें हुई।
अमरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने घोषणा करते हुए कहा, "अब से कुछ देर पहले एक अमरीकी जहाज़ ने हिरोशिमा पर एक बम गिरा कर दुश्मन के यहाँ भारी तबाही मचाई है। यह बम 20 हज़ार टन टीएनटी क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हज़ार गुना अधिक शक्तिशाली था।"
लेकिन अभी भी, इतना सब होने के बाद जापान समर्पण को तैयार नहीं था। अमरीका को ये बाद पसंद नहीं आई, तारीख फिर बदली 9 अगस्त 1945 लेकिन इस बार निशाना था जापान का शहर - कोकुरा।
इसके लिए दोबारा बी-29 "एनोला गे" पर एक "फैट मैन" नाम का परमाणु बम रखा गया, ये बिलकुल एक विशालकाय तरबूज की तरह था। लेकिन ये कम खतरनाक नहीं था।
कोकुरा बचा गया लेकिन "नागासाकी" पर हमला
9 अगस्त 1945 की सुबह नौ और दस के बीच विमान कोकुरा पर हमला करने के लिए तैयार था। उस समय कोकुरा एक औद्योगिक शहर था जहाँ बम,गोला-बारूद आदि बनाकर जापान को मदद करते थे।
बी-29 विमान उस ऊंचाई 31,000 फ़ीट पर पहुंचा जहाँ से फैट मैन को गिराया जाना था। लेकिन कोकुरा शहर की किस्मत कहिये या कुछ और, शहर के ऊपर बादलों का साया था जिस कारन विमान को दोबारा चक्कर लगा कर आना पड़ा। इसी बीच नीचे से विमान पर तोपों की बारिशें भी की जा रही थी। बी-29 का खतरनाक तरीके से घटते हुए ईंधन का ख्याल रखते हुए क्रू मेंबर्स को सन्देश मिला और अपना दूसरा लक्ष्य चुना - नागासाकी।
घडी में 11 बज चुके थे और तुरंत फैट मैन गिरा दिया गया। ५२ सेकंड तक गिरते हुए जब बम ५०० फुट की ऊंचाई पर फट गया। अब फटने के तुरंत बाद ये विशालकाय तरबूज मशरूम की शक्ल में बदल बनकर ऊपर उठा।
जब तक लोगों को आभास होता कि ये क्या हुआ है तब तक वे मर चुके थे।
हर तरफ धमाके के बाद सन्नाटा था, पूरा शहर तबाह हो चुका था। लोगों के हाथ-पैर गलने शुरू हो गए थे, विकिरण के कारण लोग तकलीफ में थे। करीब 74 हज़ार लोग इस हमले में मारे गए। ये दूसरा परमाणु हमला था जिसने पहले की तरह ही बर्बादी का मंजर दिखाया।
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने फिर घोषणा करी कि "अगर जापान ने अभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया तो उसके और अन्य युद्ध प्रतिष्ठानों पर हमला किया जाएगा और दुर्भाग्यवश इसमें कई और हज़ारों नागरिक मारे जाएंगे।"
इतना होते ही जापान के रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री व सरकार छह दिन बाद आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो गए।
अंततः, अब प्रश्न ये उठता है कि यदि हमला करना ही था तो क्या अमेरिका परमाणु हमले की जगह कुछ और प्रयोग नहीं कर सकता था? या उसे अपनी ताकत का प्रदर्शन ही करना था ?
निर्दोष लोग, निर्दोष पीढ़ियां जो बाद तक कई दशकों तक शिकार रहे उनका इलज़ाम तो अमेरिका पर सदैव लगाया ही जायेगा।
आज जापान निशस्त्रीकरण की और है क्योंकि उसने वो सबकुछ सहा है वो तबाही और बर्बादी का मंजर देखा है, वो समय समय पर परमाणु युद्ध त्यागने की ओर राष्ट्रों को प्रेरित करता है क्योंकि इस्तेमाल के बाद का इसका अंजाम सिर्फ बर्बादी, तबाही के आलावा कुछ नहीं।
वीडियो भी देखें :-
(वीडियो क्रेडिट्स :- हिस्ट्री टीवी)
Post a Comment