"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

मोदी जी के भाषण कुछ ज्यादा तो नहीं हो रहे

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जब देखो मोदी जी अपने भाषण पर भाषण दिए चले जा रहे है। वे ये भी नहीं देख रहे देश है या विदेश, ले भाषण और दे भाषण। यहीं इन्हीं सब के बीच आलोचक व राजनीतिज्ञ विद्वान यही सब सोच रहे है की "मोदी जी के भाषण कुछ ज्यादा तो नहीं हो रहे"। यही मेरा आज का मुख्य विषय भी है। अब क्या करें, जब से मोदी प्रधानमंत्री  पद के  मुख्य दावेदार बने ऐसा लग रहा है उनको बीजेपी ने अपने लिए बहुत अच्छा किया , लेकिन देश की जनता के लिए?

कभी कभी मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मोदी जी देश के प्रधानमंत्री होने से ज्यादा भूमिका भाजपा के प्रधानमंत्री की निभाते हैं? अब ऐसा कहना गलत नहीं होगा। आजकल बिहार के चुनाव पर उनका ध्यान बहुत जा रहा है।  वे भी ढोंगी बाबाओं की तरह नए नए लुभावने सपने उन्हें दिखा रहे है, नए-नए वादे उन्हें किये जा रहे है।  क्या मोदी जी बिना बीजेपी के बिहार में मदद नहीं करना चाहते क्या ? बिहार को ऊंचाई पर ले जाने और अच्छी स्थिति बनाने पर मोदी जी सिर्फ बीजेपी को क्यों इतना प्रतिभा का धनी मान रहे है? क्यों नहीं वो केजरीवाल की तरह अच्छों के लिए अच्छा और बुरों के लिए बुरा नहीं कह रहे? सवाल बहुत हैं। लेकिन मोदी जी इनपर जवाब नहीं देते। 

दिल्ली में हम देख चुके है कि मोदी जी की तीन चुनावी रैली हुई थी तो किस तरह अरविन्द केजरीवाल का भरी रैली में मजाक उड़ाया गया था। ऐसा किसी प्रधानमंत्री को शोभा देता है क्या? शायद बिलकुल नहीं। 

मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं किसी पार्टी विशेष के नहीं। बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष को मोदीजी की जगह खुद चुनावी रैलियां करनी चाहिए। आस पड़ोस के देशों पर और भारत की जनता पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। 



कल ही मोदी जी यूएई हो कर आये हैं, दुबई में उनकी शैली देखने लायक थी। देख कर अच्छा लगा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री वहां हर जगह जा रहे है जहाँ हमारे भारतीय लोग मौजूद हैं और उन्हें सम्बोधित भी कर रहे हैं। लेकिन थोड़ा अजीब तब लगा जब वे अपने किये कार्यों व योजनाओं का बखान कर रहे है। अब दुबई वालों को ये सब सुनने में दिलचस्पी हो या न हो, कौन जानता है, शायद वहीँ के लोग। लेकिन बातों बातों में कई बातें वे अच्छी कह जाते है, जैसे- आपसी मेलजोल बना रहे, सभी देश एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहे और भी बहुत सी। 

चलिए अब वापस बिहार चुनावी रैली पर लौटते हैं। 
मोदी जी भाजपा की और से बोलते हुए न जाने कितने अवांछनीय शब्दों का प्रयोग कर चुके है। आरजेडी और जेडीयू की फुल फॉर्म वे बता चुके हैं, रोजाना जंगल राज का डर और जनता का दमन एवं उत्पीड़न इन सब की क्या और क्यों जरुरत थी। आप देश के प्रधानमंत्री है आपको सबको सही देखने की जरुरत है।  

अब किसी को अच्छा लगे या न लगे, मोदी जी भाजपा की और से अपने प्रधानमंत्री पद का फायदा चुनाव के लिए कर रहे है। जिसके अच्छे परिणाम मिलते है तो कभी नहीं मिलते। ये ही चुनावी रैलियां मोदी जी के भाषणों को एक अति प्रदर्शित करती हैं। और अति हर चीज़ की खतरनाक या यूँ कहें कि विनाशकारी होती है। 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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