"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

अपने जीवन को सरल बनाएं

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१. अपनी स्थिति का ख्याल रखें : आप कौन हैं, क्या हैं, क्यों है? बेहतर होगा ये अपने तक ही सीमित रखें। दूसरों के सामने जाहिर करने से क्या होगा। अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही अपने लिए रोज कार्यों को रूप दें। किसी भी चीज़-वस्तु या अपने पर अहंकार न करें। 

२. इच्छाओं को सीमित रखें : यहाँ सबसे पहले यह जान लेने की जरूरत है कि अपनी इच्छाओं को हम किस प्रकार से नियंत्रित कर पाते हैं। प्रत्येक को इच्छाओं के दमन की आवश्यकता है। हमारी पल भर की जरुरतें इतनी हो जातीं हैं कि वो भविष्य के लाभ के सामने हमारे लिए अवरोध उत्पन्न करती हैं।

३. अपनी ना इस्तेमाल चीज़ों का दान करें : दान करना एक अच्छी कोशिश होती हैं। प्राय: उन न-इस्तेमाल होने वाली चीज़ों को जरूरतमंदों को दान करें। शायद वो चीज़ें किसी के लिए बहुमूल्य साबित हो जाएं।  

४. बुरी संगति का त्याग करें : हम अपने सामान्य जीवन में आस पास देख सकते है कि हर और बुरी संगति से युक्त व्यक्ति फंसा हुआ है। जिसका न तो कोई लाभ होने वाला है परन्तु अपार हानि के लक्षण साफ़ नज़र आते है। और जो भी व्यक्ति इसमें फंस कर रह जाता है, वो शायद ही बुरी संगति को त्याग पाये। इसलिए पहले ही सचेत रहे और अलग रहे।

५. धन के प्रति अत्याधिक मोह सही नहीं : धन की आवश्यकता जीवन यापन और अपने प्राथमिक जरूरतों को पूरी करने के लिए होती हैं। उनसे अत्याधिक मोह ठीक नहीं न ही जरुरत से कहीं ज्यादा धन के पीछे हाथ धो कर दौड़ना चाहिए। 

६. प्रकृति के साथ समय बिताओ : प्रकृति के साथ जितना वक्त मिले उतना बिताना चाहिए।  प्रकृति बिना कुछ नहीं, न मनुष्य ही जीवित रह पायेगा। प्रकृति से प्रेम करो और साथ ही उसको दूषित हो जाने से बचाने की भी कोशिश करो। 

७. भोजन की आदतें बदलो : भोजन का भी अत्याधिक सेवन सभी उम्र के लिए एक बेहद बड़ी समस्या है।  हमें ताजा व पौष्टिक भोजन का सेवन अपने अनुसार करने की जरुरत है। लेकिन खाने के लिए जीना व्यर्थ है अपितु जीने के लिए खाना जायज़।  

८. टी.वी. कम पुस्तकों पर गंभीर रहे : आज का समाज सिनेमा, नाटक , टी.वी. को ज्यादा समर्पित होता चला जा रहा है। जो एक बुरा असर आज के समाज में भरता चला जा रहा है। अगर कुछ पाना है तो पुस्तकों पर ज्यादा गंभीर होने की जरुरत है, जिसमें इतिहास से लेकर विज्ञान तक सब कुछ हर चीज़ का रहस्य छुपा हुआ है। 

९.  अति को ना कहना सीखें : किसी भी चीज़ की अत्याधिक ललुप्ता और जरूरतें हमारे लिए अति कहलाती है।  इसलिए जितना सही हो नियंत्रित रहे और अपने पर सैय्यम रखें। 

१०. मदद को हाँ कहना सीखें : प्राय: जरूरतमंदों की सहायता करें और जो भी आपसे मदद की एक सकारात्मक गुहार लगाये उसको कभी ना नहीं कहें। 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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