"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

हिन्दी के दिन अब हिन्दी याद आई

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जी हाँ, 14 सितम्बर - "हिन्दी  दिवस" के दिन आज उन लोगों को भी हिन्दी को याद करते हुए देखा जा रहा है, जिन्होंने सालों-साल हिन्दी भाषा को नज़रअंदाज़ किया हुआ था। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो किसी व्यक्ति द्वारा शुद्ध हिन्दी के प्रयोग पर अचानक ही हँस पड़ते थे। वे हिन्दी में शुभकामनाएं देकर आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर लाइक्स, कमैंट्स और री-ट्वीट बटोर रहे हैं। यह देख कर अच्छा भी लगता है और बुरा भी। अच्छा इसलिए कि चलो कम से कम इस दिन को तो वे हिन्दी को सम्मान देने का प्रयास कर रहे हैं साथ ही बुरा भी लगता है कि ये लोग पूरे साल हिन्दी को मात्र एक भाषा के तौर पर ही देखते हैं, हिन्दी भाषियों का मजाक बनता देख वे भी साथ हँस लेते हैं।

लेकिन फिर भी इन सब से अलग हिन्दी दिवस के आते ही सोशल मीडिया,अख़बारों,टीवी आदि जगहों पर हिन्दी की महानता और उसकी लोकप्रियता के कसीदे पढ़े गए। ये बिलकुल, किसी की मय्यत पर पढ़े जाने वाले संदेश  की भांति ही प्रतीत होते हैं। हम इनसब को देख कर, समझ कर यही कह सकते हैं कि इस व्यवहारिक भारतवर्ष में न जाने ये काल्पनिक दुनिया की चकाचौन्ध कहाँ से आ गयी। आज के इस दौर में हिन्दी का हाल ऐसा हो चला है की स्वतंत्रता संग्राम में एक संपर्क भाषा में प्रयोग होकर भी, देश को एक साथ जोड़कर भी आज ये भाषा तिल तिल मर रही है। और वर्तमान भाषा बाज़ार में अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इटेलियन का जलवा छाया रहता है। वैश्वीकरण के कारण बहुत सी भाषाएँ, संस्कृतियाँ इस तरफ से उधर गयीं, और उधर से इधर भी हुईं। लेकिन इस बाजारीकारण के युग में वही टिक पायेगा जो अपने आप को बाजार के अनुरूप ढाल सके।

आज लोग मॉडर्न कहने में ज्यादा ख़ुशी महसूस करते हैं, और जो मॉडर्न नहीं हुए वो मॉडर्न होना चाहते हैं। सब का उद्देश्य दिखाई तो यही देता है कि उन्हें आकर्षक और प्रभावी नज़र आना है। तो फिर हिन्दी अपना कर कहाँ से वो प्रभावी दिखेंगे? आजकल तो स्कूल, कॉलेजों में लोग इंग्लिश मीडियम में बच्चों को पढ़ाना ज्यादा पसंद करते हैं, शायद उन्हें भी लगता होगा कि हिन्दी कि अब उम्र हो चली है। अगर शांत दिमाग से बैठकर सोचा जाये तो हम जान पाएंगे कि हिन्दी को पीछे करने में हम ही लोगों का हाथ है । 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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