काले धन को लेकर पीएम मोदी ने बड़ा फैसला लेते हुए 500 और 1000 रूपये के पुराने नोटों को पूरी तरह बंद करने का फैसला किया है। जल्द आएगा 2000 रूपये का नोट भी।
इन नोटों पर आज आधी रात से ही प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।
केवल 72 घंटो के लिए अस्पतालों, मेडिकल स्टोर्स, पेट्रोल पम्पों, गैस स्टेशनों, रेलवे व हवाई जहाज के टिकट बुकिंग काउंटर्स व सरकारी उपभोक्ता सहकारी स्टोरों पर ही चल पाएंगे।
बाकी पब्लिक कार्यों के लिए फिलहाल ये सब नोट केवल कागज के मात्र कुछ टुकड़े बनकर रह गए हैं। केवल 30 दिसम्बर 2016 तक बैंकों व डाक खानों में ही अपने पुराने नोटों को अपने खातों में जमा करा सकते हैं और 4 हजार तक की नकदी रकम अपना एक पहचान पत्र दिखा कर बैंकों से बदल सकते हैं। मगर ध्यान रहे 2.5 लाख से ज्यादा रुपया जमा कराने वालों पर आयकर विभाग और वित्त मंत्रालय ख़ास नज़र रखेगा।
मेरे विचार से:-
8 नवम्बर, रात 8 बजे प्रधानमंत्री मोदी जी देश के नाम सन्देश देने वाले थे। जैसे ही मोदी जी ने अपनी बात शुरू की सब समझ ही गए कि कोई चौंका देने वाला समाचार प्राप्त होने वाला है और ऐसा ही हुआ।
साथ ही कहीं न कहीं हम आम ईमानदार भारतीय नागरिकों के लिए ये राहत की सांस भी मिली थी कि कम से कम किसी प्रधानमंत्री ने काले धन पर लगाम लगाने का कुछ तो काम किया।
इस नोटबंदी की खबर को प्रधानमंत्री ने खुद ही देश को बताना सही समझा, जो एक बेहद अच्छा फैसला था। साथ ही यह भी बताया कि इस खबर की किसी को कानों कान खबर भी नहीं थी। केवल खुद प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री व कुछ सदस्य और RBI के उच्च अधिकारियों को ही यह जानकारी थी। यदि इस बात की किसी को खबर भी लगती तो भ्रष्ट लोग अपना काला धन तेजी से सफ़ेद कर डालते। इसलिए यह पूरी प्रक्रिया गुप्त रखी गयी।
यूँ तो विरोध होना शुरू हो गया है, बाकी बाद में समय के साथ पता लगेगा कि क्या होता है? यदि नोटों के बदलाव की सुचना वाकई में गुप्त रखी गयी थी तो बेहद उच्चस्तरीय, सरहनीय व देशहित के लिए लिया गया फैसला होगा। पर यदि कहीं कोई बात लीक हुई होगी तो यह फैसला आम भारतीय जनता व गरीब लोगों के परेशान करने मात्र तक सिमट कर रह जायेगा क्योंकि किसी को पहले से ही योजना के लीक हो चुकी हुई सुचना मिली होगी तो ये अमीर, पूंजीपति-उद्योगपति, मंत्री-नेता, ब्यूरोक्रेट्स, बिल्डर्स सब अपना रुपया-पैसा ठिकाने लगा चुके होंगे।
साथ ही कहीं न कहीं हम आम ईमानदार भारतीय नागरिकों के लिए ये राहत की सांस भी मिली थी कि कम से कम किसी प्रधानमंत्री ने काले धन पर लगाम लगाने का कुछ तो काम किया।
इस नोटबंदी की खबर को प्रधानमंत्री ने खुद ही देश को बताना सही समझा, जो एक बेहद अच्छा फैसला था। साथ ही यह भी बताया कि इस खबर की किसी को कानों कान खबर भी नहीं थी। केवल खुद प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री व कुछ सदस्य और RBI के उच्च अधिकारियों को ही यह जानकारी थी। यदि इस बात की किसी को खबर भी लगती तो भ्रष्ट लोग अपना काला धन तेजी से सफ़ेद कर डालते। इसलिए यह पूरी प्रक्रिया गुप्त रखी गयी।
यूँ तो विरोध होना शुरू हो गया है, बाकी बाद में समय के साथ पता लगेगा कि क्या होता है? यदि नोटों के बदलाव की सुचना वाकई में गुप्त रखी गयी थी तो बेहद उच्चस्तरीय, सरहनीय व देशहित के लिए लिया गया फैसला होगा। पर यदि कहीं कोई बात लीक हुई होगी तो यह फैसला आम भारतीय जनता व गरीब लोगों के परेशान करने मात्र तक सिमट कर रह जायेगा क्योंकि किसी को पहले से ही योजना के लीक हो चुकी हुई सुचना मिली होगी तो ये अमीर, पूंजीपति-उद्योगपति, मंत्री-नेता, ब्यूरोक्रेट्स, बिल्डर्स सब अपना रुपया-पैसा ठिकाने लगा चुके होंगे।
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