एक तौफ़ानी हवा का झोंका,
याद है मुझको अब भी, सब कुछ,
तेरा वो अनजाना सा चेहरा,
हकीकत की रौशनी, मासूमियत का पहरा,
अधूरापन सिमट कर, था जब फैला
पल भर में बने थे, तुम मेरे दोस्त,
रोशन हुई, जो अँधेरी ज़िन्दगानी ,
तब शुरू हुई तेरी मेरी कहानी,
कल जब, मैं बैठा था,
तो तुम चले जाते थे,
आज तुम बैठे हो,
तो मैं चला जाता हूँ,
एक थपथपाहट सी भी, दिल में जमी बैठी है,
वही सनसनाहट सी, मुझे झंझोर देती है,
टुकड़े-टुकड़े जिंदगी कटती जा रही है,
अध्बुने धागों से बुनती जा रही है,
याद है मुझे, अब भी हर बात वो तेरी,
आये थे बनके जब जिंदगी में मेरी
आये थे बनके जब जिंदगी में मेरी।।
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