जाने कहाँ कहाँ
सब जगह फैला अत्याचार है,
ये देन है तो राजनीति की जो फैला भ्रष्टाचार है,
नेता नहीं है कुछ भी देता,
ये तो है बस लेता लेता,
जनता की मेहनत को लेता,
देश का पैसा जेबों में भरता,
कुर्ता पैजामा पहन के ऐसे
दिखावे के नए ढोंग ये रचता,
कैसे कैसे कैसे कैसे
देश में ये सब नेता है
जनता को धोका देकर करते ये खिलवाड़ है,
महंगाई देश में करके, खुद ठाठ से रहते है… हुह
नयी इनकी गाड़ी होगी, नए नए होंगे बंगले,
इनको कुछ फर्क नहीं पड़ता ये तो करवा देते है हमले,
मनमर्जी इनकी है
इनकी सब जो चलती है,
उठ खड़ी हो, देश की सोयी जनता,
तो ही बात बनती है
बस, तो ही बात बनती है।
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