"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

यही है.… बस "यहीं" है हर लम्हा हर पल

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यही है.… बस "यहीं" है
हर लम्हा हर पल
अच्छे दिन भी आएंगे
आज नहीं तो कल

बन सफल हो जा अटल
हर बाधा पर तू बढा चल

नई रुकावटें नए फलसफे
बस, नाश कर तू आगे बढ़

ज़िन्दगी पे तू कर यकीं,
लिख किस्मत तू खुद ही,

होगा नाम तेरा भी इक दिन
बस, मगन रह तू लगन रख 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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