"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

ये अज़ब दुनिया है, अधूरी इसकी कहानी है

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ये अज़ब दुनिया है, अधूरी इसकी कहानी है,
अलग अलग, मतलब के है लोग, अलग सबकी निशानी है,
बिना मंजिल के जाओगे कहाँ, दुनिया में बड़ी बेईमानी है,
जिस जगह ठहरोगे तुम, वो जगह काफी पुरानी है,

..

आसान लगता तो है रास्ता, पर राहें सुन्सानी है,
समंदर से जाओगे तो,  कश्ती वहीँ डूब जानी है,
उम्मीद रखोगे दिल में तो, जगह वही जानी पहचानी है,
जान पाओगे क्या है दुनिया, क्या अधूरी इसकी कहानी है,

..

क्यों परेशान है सब, क्या सब को परेशानी है,
अज़ब दुनिया है बस, ये छोटी सी कहानी है,
शुरू होती है ज़िन्दगी से,  और मौत पे खत्म हो जानी है
****पीताम्बर शम्भू ****

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।