"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

नाम जानते है .... काम जानते है

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‎"नाम जानते है .... काम जानते है,
हर मुमकिन उनकी.... पहचान जानते है,
भारत के 8वें प्रधानमंत्री के रूप में........
उन्हें आज भी एक... सच्चा इंसान मानते है."

शुरू से राजनीति के घेरे में जीना सीखा,
क्या है ये बीमारी.... सब अपने पुरखों से सीखा,
विलायत... पढने कुछ गए .... शादी की इटालियन से और ....
वापस आकर... देश की राजनीति में फँस गए,

इंदिरा के मारे जाने के बाद,
प्रधानमंत्री के पद का .... मिला काम-काज,
मगर और नेताओं से ... कुछ अलग काम ... करना चाहते थे,
देश को एक सम्मानित स्थिति ... तक ले जाना चाहते थे,

कुछ कर दिखाना है... ये पर्ण था ...उनके मन में,
समानता और आत्मनिर्भरता को ढालना है... हर कण में,
युवाओं से अपना साथ देने को कहते थे,
जाति-धर्म से उठ कर ... साथ में बैठते को कहते थे,

कोई भी मौका ... नहीं गवांया उन्होंने,
एक सामान भारत को बनाने का सकल्प लिया उन्होंने,
जनता से मिलते जुलते ... रहते थे,
कोई परेशानी ना हो किसी को.... इसलिए भारत में हर जगह जाते थे,

उसी दौरान 1991 में.. चेन्नई से 30 मील दूर एक गाँव में गए,
एक महिला द्वारा, "RDX" से वहीँ उड़ा दिए गए,
बेहद शोक .. की लहर... तुरन्त फ़ैल गयी पूरे .. भारत में,
एक अच्छे भले नेता को भी ...नहीं जीने दिया भारत में,

मरणोपरांत ... उनके काम की प्रशंसा की गयी,
भारत के सर्वोच्च सम्मान ... "भारत रत्न" की उपाधि दी गयी,

कहने को बहुत कुछ है .... लेकिन हमें प्रसिद्ध भारतीयों को हमें नहीं भूलना चाहिए,
जिन्दे है जो उनके साथ साथ.... मरे हुओं को भी भूलना नहीं चाहिए
पीताम्बर शम्भू 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।