"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

शास्त्री जी को उनके जन्मदिवस पर उनको शत-शत नमन

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छः साल का एक लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया। उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी झोलियाँ भर लीं। वह लड़का सबसे छोटा,सबसे कमजोर होने के कारण सबसे पिछड़ गया।उसने पहला फूल तोड़ा ही था कि इतने में बगीचे का माली आ पहुँचा। दूसरे लड़के भागने में सफल हो गए। लेकिन छोटा लड़का माली के हत्थे चढ़ गया। बहुत सारे फूलों के तोडे जाने और दूसरे लड़कों के भाग जाने के कारण माली बहुत गुस्से में था। उसने अपना सारा क्रोध उस छः साल के बालक पर निकाला और उसे पीटता रहा।
नन्हे बच्चे ने माली से कहा – “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योकि मेरे पिता नहीं हैं!” 
यह सुनकर माली का क्रोध चला गया। वह बोला – “बेटे, पिता के ना होने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है।” 
माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन जिम्मेदारी की बात सुनकर यह बच्चा बिलख कर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवनभर नहीं भुलाया। उसी दिन से बच्चे ने अपने ह्रदय में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुकसान हो। बड़ा होने पर वही बालक भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन में कूद पड़ा।

एक दिन उसी बालक ने लालबहादुर शास्त्री के नाम से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।
।।आज शास्त्री जी को उनके जन्मदिवस पर उनको शत-शत नमन।।
वन्दे मातरम्..!!जय हिन्द..!! जय भारत..!!

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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