आम व्यक्ति यह सोच कर मृत्यु से भयभीत रहते हैं कि अगले जन्म में यह सब खो जायेगा। परंतु यह सत्य से परे है। आप को सब कुछ वैसे ही मिलेगा जैसा आपने यहाँ सोचा है और पाया है। केवल व्यक्ति,स्थान और संबधों का परिवर्तन हो सकता है। एस प्रकार देखने से आम आदमी का मृत्यु से भय का कारण निराधार है। यही माना जाना चाहिए।
गीता में भगवान ने साफ कहा है ---
"वासांसि जिर्नानी यथा ...............नारोपराणी। "
अर्थात, जिस प्रकार हम कपडे फट जाने पर कपडे बदलते हैं उसी प्रकार शरीर के जीर्णशीर्ण हो जाने पर केवल शरीर परिवर्तन होता है.। देहांतरण को इसी प्रकार समझना चाहिए।
अतः भगवान के अनुसारमृत्यु केवल शरीर की एक अवस्था का परिवर्तन है। इसमें और कुछ भी परिवर्तित नहीं होता है। अतः मृत्यु से भयभीत होना अनावश्यक है।
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