"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

अजनबी दुनिया का अकेला एक ख्वाब

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इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला एक ख्वाब हूँ,
सवालों से खफा,छोटा सा जवाब हूँ,
… 
जो ना समझ सके, उनके लिए "कौन",
जो समझ चुके, उनके लिए किताब हूँ,
...
दुनिया की नज़रों में, जाने क्यों चुभा सा,
सबसे बदनाम  नशीला शराब हूँ,

सर उठा के देखो, वो देख रहा है तुम्हे,
जिसको न देखा उसने,वही चमकता आफताब हूँ,
...
आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ,

मैं इस अजनबी दुनिया का अकेला एक ख्वाब हूँ 

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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