"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

आतंकवादी हमले आखिर कब रुकेंगे ?

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यह एक गंभीर प्रश्न है और समय समय पर इस पर विचार करना जरुरी ही नहीं अपितु आवश्यकता भी है।  आज जिस तरह पंजाब के गुरदासपुर इलाके में आतंकवादी गतिविधियाँ हुई, उसको देखकर तो यही लगता है की हमें अपने तंत्र को और अधिक अपडेट व अपग्रेड करनी की जरुरत है।  

लेकिन इसी बीच जब मुठभेड़ व गोलीबारी जारी थी उसी समय राजनेताओ की राजनीति भी देखने को मिली। भई, चलो आपको तो सही समय मिल गया है, तो फोड़ दो "ठीकरा" किसी न किसी के सर पर, चाहे पंजाब सरकार के सर पर ही क्यों ना। पाकिस्तान को भी जिम्मेदार ठहराया जायेगा। इस काम में तो हम भारतीय माहिर ही हैं । लेकिन इससे मिलेगा क्या? यदि हम इन घटनाओं को होने न देने पर ज्यादा बल दें और कड़ी कानून व्यवस्था का सिर्फ निर्माण ही ना करें बल्कि उसको सही दिशा भी दें ।
संसद में भी यह मुद्दा चलेगा करोडो रुपयों की बली भी आतंकवाद के नाम पर दी जाएगी। होगा क्या नेता लोग खा-पी के बैठ जाएंगे, एक समिति या कोई योजना या कोई नया सेना बल तैयार कर देंगे … बस ले लिया फैसला। 
फिर क्या होगा ?? कुछ सालों बाद फिर एक दो घटनाएं और सामने आएँगी। सरकार सेना और पुलिस को घटना-स्थल पर जाने को कहेंगी। सेना और पुलिस बल अपनी जान हथेली पर लेकर मामला निपटा भी देंगे।  मगर  सवाल यह कि आखिर कब तक ??
मैं सोचता हूँ ऐसा आखिर कब तक चलता रहेगा? हमारा देश भारत सुख-चैन-अमन से जीने वाला राष्ट्र कब बनेगा? शायद इसके लिए प्रत्येक नागरिक को भी अपनी एक भूमिका समझनी पड़ेगी। नागरिकों की गैर-जिम्मेदारी भी इन गतिविधियों को अंजाम देती है, यदि वे सही समय पर जाँचें, परखें तो वे भी कुछ सही सकारात्मक निर्णय ले सकने की क्षमता रखते हैं।  
आतंकवाद को रोकने के लिए सरकारी तंत्र से लेकर नागरिक तक सभी की एक जिम्मेदारी होती है। प्रत्येक को यह समझनी भी चाहिए। और ये जिम्मेदारी घटना के घटित होने से पहले की होती है जिसे "तैयारी" कहते है। "ये नहीं होना चाहिए कि यदि कोई आतंकवादी घटना होती है तो.… सब कुछ सेना ही देखेगी या पुलिस ही देखेगी, वो तनख्वा किस लिए लेते हैं ?"- गलत..!!
होना ये चाहिए कि  हम किस तरह ये सब होने से पहले कैसे रोक सकते हैं तभी हम सच्चे नागरिक कहलायेंगे सच्चे भारतीय कहलायेंगे।  

जय हिन्द !!

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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