"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

'याकूब मेमन की फाँसी'

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यह बात किसी को बताये जाने की जरुरत नहीं कि याकूब मेमन को फांसी क्यों दी जाने वाली है। अगर आपको नहीं पता तो सुनिए, याकूब मेमन का हाथ, उन 1993 के मुंबई के 13 सिलसिलेवार बम धमाकों में निर्दोष 257 लोगों की जान लेने के जुर्म में था। इन बम धमाकों में 700 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए, साथ ही 250 करोड़ से ज्यादा की सम्पत्ति नष्ट हो गयी। याकूब को नेपाल पुलिस ने पकड़ा और भारत को सौंप दिया। जिसकी विस्तृत जांच भी हुई और पूरी न्यायिक प्रक्रिया न्यायालय में परिपूर्ण हुई। जिसको ध्यान में रखते हुए याकूब को ३० जुलाई को फांसी की सजा मुक़र्रर हुई।  
अब जब से न्यायालय द्वारा फांसी की तारीख घोषित की गयी है, तभी से याकूब को लेकर काफी लोग राष्ट्रपति (भारत सरकार) से गुहार लगाने में लगे है कि फांसी को रोक दिया जाये। अब तक सौ से अधिक पत्र राष्ट्रपति को लोगों द्वारा और नामी हस्तियों द्वारा भेजे जा चुके है।
Updated on 29th July 4:30 P.M.:   सुप्रीम कोर्ट ने सभी फैसले लेते हुए फांसी को सही बताया है तथा अब फांसी को रोक जाना सही नहीं।
Updated on 29th July 5:15 P.M.: हालांकि याकूब की दया याचिका अभी तक राष्ट्रपति ने मंजूर या नामंजूर नहीं की है। साथ ही राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय से सलाह मांगी है कि क्या कोई आधार बाकी है। 
Updated on 29th July 10:15 P.M.: राष्ट्रपति ने दया याचिका खरिज करी। 
"न्यायिक इतिहास में बीते कुछ दशकों में पहली बार देर रात सुप्रीम कोर्ट खोला गया। "
Updated on 30th July 2:30 A.M.: विचार-विमर्श के बाद प्रधान न्यायाधीश ने उन्हीं तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित कर दी, जिन्होंने पूर्व में मौत के वारंट पर फैसला किया था।
Updated on 30th July 5:00 A.M.: तड़के 5 बजे फांसी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर बरक़रार। 
Updated on 30th July 6:30 A.M.: सुबह 6:30 बजे याकूब मेमन को नागपुर के सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। 


फांसी महाराष्ट्र के नागपुर सेंट्रल जेल में 30 जुलाई, सुबह 7 बजे तक दी जाएगी। कई दिनों पहले, फांसी के आदेश के बाद से ही जेल में फांसी की तैयारियां भी शुरू कर दी गयी, और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम भी कर दिए गए हैं। 
सलमान खान के ट्वीट्स से बवाल
मामला और अधिक तब गरमाया जब सलमान खान ने अपने ट्वीट करके यह कहा कि "याकूब क्यों ? टाइगर क्यों नहीं " ( जो निम्न वास्तविक ट्वीट के चित्रों में दर्शाया गया है )पूरे  देश भर में सलमान खान का विरोध हुआ और लोगो में उनके प्रति गुस्सा भी भी खूब उबला। हालांकि सलमान खान ने माफ़ी मांगी और कहा कि शायद जो वो कहना चाहते थे वो बात लोगों ने गलत तरीके से समझली जो वो नहीं चाहते  थे।  



निश्चित ही जिन शब्दों में फाँसी का विरोध किया गया वह न्यायालय की अवमानना है ....!!
सलमान का विरोध होना ही था - और विरोध हुआ भी - तथा उसके बाद सलमान खान द्वारा ट्वीट वापस ले लिए गए - और माफ़ी भी माँग ली गई - पर साथ ही टेका लगा दिया कि ये सब वो पिता के कहने पर कर रहे हैं।  
अब फांसी के विरोध में बोलना या प्रतिक्रिया करना न्यायालय की अवमानना है और फांसी भी वो जिसमे मुंबई बम काण्ड का दोषी है। अब ये फांसी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योकि इसमें सलमान ही नहीं बल्कि और भी कई सौ से अधिक बड़ी नामी हस्तियां है जो फांसी के विरोध में हैं। पर जब तक इस देश के कानून में वांछित बदलाव नहीं होते - 'याकूब की फाँसी' का विरोध तो असंवैधानिक ही होगा ... और एक बात यदि कोई यहाँ मानवाधिकार की कोई बात करे तो भी यहाँ अवांछनीय होगा, उसका यहाँ कोई औचित्य है ही नहीं। कृपया मानवाधिकार का जिक्र यहाँ तो कम से कम न करें।  

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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