वाह..!! क्या बात है। भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा बॉलीवुड़ अभिनेता सलमान खान को अगस्त में ब्राजील के रियो द जेनेरियो में होने जा रहे ओलंपिक खेलों का भारत की तरफ से गुडविल एम्बेसडर बनाया गया। मगर क्यों..?? क्या खेल-जगत में किसी नामी हस्ती की कमी थी? सलमान खान का नाम आने के तुरंत बाद नामी गिरामी हस्तियों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया। साथ ही ट्वीटर पर भी योगेश्वर दत्त ने भी सलमान खान को एम्बेसडर बनाये जाने पर आलोचना की। लोगों ने योगेश्वर दत्त का भी खासा समर्थन किया तो किसी ने उन्हें अपने खेल को सुधारने की सलाह दी न कि राजनीति करने की। सब देखते ही देखते अपने मिल्खा सिंह समेत कई खिलाडी भी मैदान में उतर आये, उन्होंने सही बात को सही ढंग से पेश किया और एक मजबूत पक्ष सभी के सामने रखा और खेल दूत के लिये एक खिलाडी का चयन किये जाने पर अपनी राय रखी। और वैसे ये बात भी है कि खिलाड़ियों का उत्साह किसी अभिनेता के खेलदूत बनाये जाने से नहीं बढ़ेगा जबकि यदि हम किसी खिलाड़ी को सही तरह से पेश करें तो वर्तमान खिलाड़ी भी सही प्रदर्शन कर सकेंगे। ऐसा नहीं है कि इस पद के लिये भारतीय खिलाड़ियों की कोई कमी हो, फिर भी ऐसा किया गया।
लेकिन ऐसे करने से क्या मिलेगा, ये तो वही बात हुई कि गणित के प्रश्नों को किसी संगीतकार से सुलझाया जाये और एक गाना और एक नई धुन गणित के अध्यापक से लिखाया जाये। यहाँ ये सब बातें किये जाने का तात्पर्य यही है कि जो व्यक्ति जिस क्षेत्र से संबंधित है उसे वही कार्य दिया जाना चाहिये और उसे वह सुहाता भी है।
भारतीय ओलंपिक संघ को सलमान खान को खेल दूत बनाने से पूर्व थोड़ा कुछ खिलाड़ियों से सलाह कर लेने की भी आवश्यक्ता थी। और वैसे भी सलमान खान पर सामाजिक तौर पर "हिट एंड रन" और काला हिरण शिकार जैसे गंभीर आरोप लगे हुए हैं, जो सामाजिक दृष्टि से लोगों को प्रिय नहीं हैं।
खेल की दुनिया में हमारे बेदाग छवि वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को इस सम्मान से नवाजा जाता तो बेहतर होता और देश का गौरव भी बढ़ता।
और साथ ही खिलाड़ियों का हौसला भी।
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