"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

मेरी ज़िन्दगी है तुझसे ...तेरी जिंदगी है मुझसे ...

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आँखों के वो इशारे,
तेरी नजरों के सब नज़ारे,
देखते ही... देखते ही... 
शर्मा जाएं ... ये चाँद सितारे,
...
कुछ ना है बस, अब किसी से...
तू न मिले तो मैं जियूं कैसे...
...
मेरी ज़िन्दगी है तुझसे ...तेरी जिंदगी है मुझसे ...
मेरे जीने का ... हर इक पल ...है तुझसे 
...
हर एक तौफा... मैं तुझे दे दूँ,
बिन-मांगे...सभी कुछ दे दूँ तुझे... ...
बस एक वादा ... मुझसे तू कर दे ...
एक बार... दिल में अपने ... तू जगह दे दे..... मुझे ...
...
चाहे मोहब्बत में अपने, तू फना कर दे,
दिल में जगह न ... तू सजा दे दे ... मुझे ...
...
हाँ,
इश्क़ की सजा दे के, मुझे बरी कर दे,
इस दिन का तोह मुझको .... .. कब से था इंतज़ार,
...
हो हो हो...
ज़िन्दगी में...जीना कैसा ...
बिन तेरे सब है सूना...
मारना तो है कभी तो...
तो, इश्क़्क़ ही ... में क्यों न मारना,
...
मंज़िल है मेरी,
बस तेरी ... मोहब्बत,
चाहा है मैंने... तुझे ना जाने कब से,
हर इक लम्हा तुझपे... शुरू है खत्म है,
बस चाहा था मेने तुझे सच्चे इश्क़ से
...
मेरी ज़िन्दगी है तुझसे ...तेरी ज़िन्दगी है मुझसे,
मेरे जीने का हर इक पल ......है तुझसे
****पीताम्बर शम्भू****

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।