मेरे किस्से कहानी... सुनो मुंह-जबानी..
ना रोना.. ना हँसना... सुनो हर कहानी,
जिया था.. मरा था.. हर इक डगर पर..
भटका था.. तडपा था.. हर इक सफ़र पर,
वो यादें वो बातें.... कुछ थी मुलाकातें...
हर लम्हा अब कहता है... वो बिन-सोची बातें,
....
वो बातें.. वो यादें.. कैसे सुनाऊं..
जो बिता हुआ कल है..... किसको बतलाऊं,
बेहतर है ... औरों से.... मेरी ख़ामोशी...
ना चाहूँ.. दिखलाना... अपनी उदासी,
…
राज़ पीछे है.. कितने... किसको बता दूं..
बे-दिखे जख्मों को.. कैसे दिखा दूं,
हज़ार ग़मों से गुज़रा हूँ... किसको पता है?..
दुखों में भी.. जीने का... अलग एक मजा है,
....
हकीकत है... असलियत है... है बातों में निशानी..
बिना बात लिखने की... मेरी आदत है पुरानी,
कविताओं के माध्यम से कहूँगा.. दिल-जुबानी..
पढ़ते रहो मित्रों.. है बाकी अभी कहानी
****पीताम्बर शम्भू ****