"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

ना हमें शौक था, ना हमें खौफ था

{[['']]}



ना हमें शौक था,
ना हमें खौफ था,
पर
यहाँ हम थे... तो वहाँ वो था,
वहाँ हम थे... तो यहाँ वो था
जहाँ देखा हमनें.. वहीं वो था...
..
जब समझ पाये "दिल की बात" को
ना हमें होश था ना उन्हें होश था,
****पीताम्बर शम्भू****

About Admin:

मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

Post a Comment