"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

वह एक शख्स था जो इन्सानियत की मिसाल था,

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वह एक शख्स था जो इन्सानियत की मिसाल था,
खुदा का कलाम था, वो खुद भी कमाल था,

भारत की पहचान था, हमारा स्वाभिमान था,
नई ऊर्जा, नई शक्ति, नया उसमें विशवास था,
शायद कोई अवतार था, 
मानवता का पाठ था,

धर्मनिर्पेक्षता, आत्मनिर्भरता, वह चहुँमुखी प्रतिभावान था,
विज्ञान हो या नीति हो, सबका उसे ज्ञान था,

ईमानदारी, सच्चाई, का उसमें प्रतिष्ठान था,
भारत का वह गौरव, भारत का वह मान था,
वह इस काले युग का इकलौता एक इन्सान था,

कडा संघर्ष, कडवा जीवन, उसने सबकुछ पार किया,
भारत का ग्यारहवें राष्ट्रपति होकर देश का पूरा साथ दिया,

रत्न था वह भारत का, हम "मिसाइलमैन" उसे कहते हैं,
नाम "अब्दुल कलाम" है उनका, हम सहस्त्र नमन उन्हें करते है,
****पीताम्बर शम्भू ****
अन्ततः मैं यह कहना चाहूंगा कि "भारत रत्न मिसाइलमैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब" जैसी शख़्सियत कभी मरा नहीं करते, वे तो सदैव हमारे, हम सब हिन्दुस्तानियों के हृदय में जीवित रहा करते हैं। हम सब भाग्यशाली है कि हमने उस दौर में जन्म लिया जिस दौर में कलाम साहब थे।आप मेरे जीवन में हमेशा मेरे प्रेरणास्रोत रहेंगे, मेरा आपको शत शत नमन। जय हिन्द..!!

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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