"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

मदर्स डे की खुशियाँ, फोरमेलिटी और आधुनिकता

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#ग़ुलाम_मानसिकता की विडम्बना तो देखिए, हम अपनी #माँ से प्यार करते है ये बात साबित करने के लिए हमें एक विशेष दिन (mother's day) निर्धारित करना पड़ा है।
वैसे सभी को #HappyMothersDay
😰😰😥

मैं हैरान हूँ ये देखकर कि लोग मदर्स डे के आते ही बधाईयों के अम्बार लगाने से नहीं चूंके। सब ने अपने हर इस्तेमाल के तरीके वाले सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी-अपनी माँ की फोटो लगानी शुरू कर दीं और विश भरे कोट्स का आदान प्रदान किया जाने लगा। चाहे पूरे वर्ष भर माँ के नाम को लेकर गालियाँ बकी हों, लेकिन दूसरों की होड़ में फेसबुक, ट्वीटर पर माँ के भक्त नजर आने लगे। मैं यह देख मन ही मन स्तब्ध रह गया कि भई आखिर ये क्या है कुछ लोग इतना व्याकुल थे कि बारह बजते ही अपडेट्स देने चालू कर दिये। फिर तो हर जगह मदर्स डे सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ट्रेंड करने लगा।

लेकिन क्या किसी ने कहीं गाँव देहात में जाकर जानकारी ली, क्या किसी गरीब माँ को बताया कि आज मदर्स डे है...एक माँ का दिन है, आपका दिन है। और उन लोगों का क्या जो अपने माता-पिता को वृधाश्रम छोड़ आयें हैं और मदर्स डे पर वीकेंड पर पार्टी मना रहें हैं। वैसे ये सब डे-शे अमीर पाश्चात्य पीढ़ी वाले लोगों के चोंचले हैं। उन्हें अपने माता-पिता से बातचीत करने का, उनकी पीडा सुनने का वक्त तो रहता नहीं था। बस बना दिया एक विशेष दिन मिलने-मिलाने को। मगर क्या ये दिन भी वो अपनी माँ को दे पाये? इसका जवाब भी देना आज भी उनको मुमकिन होगा नहीं। 

क्योंकि जो आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट्स की एक होड़ सी चल पड़ी है उसमें कहीं वे पीछे न रह जायें, लोगों को यह ध्यान सताता रहता है। लेकिन सच यही है कि वो एक गुलाम भर रह गये हैं। माता-पिता के लिये वक्त ही नहीं है। व्यवहार सही नहीं होगा, जुबान पर गालियाँ लगी होगीं, माँ से प्रेम नहीं होगा, लेकिन फिर भी भीड़ में भीड़ बन फिरते रहेंगे।
हैप्पी मदर्स डे मनाते दिख रहें हैं ये वही लोग हैं जिन्हें माँ को प्रेम दिखाने के लिये सिर्फ यही दिन दिखाई पड़ा। पूरे साल नजरअंदाज किये एक कोने में माँ की खटिया बिछाई हुई है लेकिन आज फेसबुक पर लाईकस बटोरने में पीछे नहीं हट रहे।

माँ शब्द क्या होता है और माँ होती कौन है, ये लोग नहीं जानते। माँ को नजदीक से देखने उसके दिल को टटोलने में ऐसे लोगों के पास वक्त नहीं होता। वे अपडेट्स में पक्के होंगे पर इन बातों से हमेशा कोसो दूर रहेंगे। लेकिन वास्तविक सच तो यह है कि मां जितना मीठा, अपना, गहरा और खूबसूरत शब्द दुनिया में कोई नहीं है। समूची पृथ्वी पर बस यही एक पावन रिश्ता है जिसमें कोई कपट नहीं होता। कोई प्रदूषण या मिलावट नहीं होता क्योंकि, मां के रिश्ते में ममता का सागर होता है। मां की गोद में शीतल और सुगंधित बयार का कोमल अहसास होता है। इस रिश्ते की गुदगुदाती गोद में ऐसी अव्यक्त अनुभूति छुपी होती है जैसे हरी, ठंडी और कोमल दूब की बगिया में सोए हों।
कहें भी अगर, तो ये रिश्ता ऐसा है जिसकी तुलना भी किसी रिश्ते से नहीं की जा सकती। हर लम्हा हर क्षण माँ को समर्पित होना चाहिये, ना कि कोई विशेष दिन। कृपया सभी इस विशेष दिन के अलावा भी माँ का ख्याल हर दिन रखें। 🙏🙏☺️

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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