"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

तनाव का हल: जंग, शांति या कुछ और

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उरी में हुए आतंकी हमले के बाद से रोज रोज भारत पाक के युद्ध अब तो एक बार हो ही जाने की बातें गली-नुक्कड़, ऑफिसों, शिक्षण संस्थानों सहित फेसबुक, ट्विटर और तमाम सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर दिखाई दे रहीं हैं। 
नए नए नौजवान तैयार बैठे हैं लडने को। सब में कुछ अलग करह का आक्रोश दिखाई देता है। टीवी मीडिया न्यूज चैनल्स भी रोज ही रोज भारत-पाक की  जंगी तुलना कर देने से पीछे नहीं हटते। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारा प्यारा भारत पाकिस्तान(फिस्सड्डी) से कभी पीछे नहीं रह सकता और ना कभी हार सकता।
लेकिन इन सब से अलग ये बात भी जरा गौर से पढियेगा और जरूर सोचियेगा।

बोलना नहीं चाह रहा था, पर बोल देता हूँ। 
पहली बात, भारत-पाक में सीधी जंग अब कभी नहीं हो सकती क्योंकि दोनों एटमी पावर हैं। सो पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसे सबक सिखाने की बात भूल जाइए। थोड़ा सिंकारा पी लीजिए, दिमागी को भी तंदुरुस्ती आएगी। 

दूसरी बात, कश्मीर समस्या का हल बातचीत के बल पर और शांतिपूर्ण ढंग से ही होगा। इसका सैन्य समाधान कभी नहीं हो सकता क्योंकि कश्मीर का एक-एक थोडा-थोडा हिस्सा दोनों देशों के पास है। मुशर्रफ के समय में आगरा शिखर वार्ता के दौरान इसका हल हो सकता था लेकिन कहते हैं कि आडवाणी के चलते इतिहास बनते-बनते रह गया। उस वक़्त मुशर्रफ सेना और जम्हूरियत दोनों को लीड कर रहे थे तो समझौते को पाकिस्तान में मनवा लेते। 

तीसरी बात, यदि कश्मीर और कश्मीरी लोगों के दर्द व पीड़ा सुनी व समझी जाये तो पता चलेगा कि वे ना तो भारत के साथ रहना चाहते हैं और ना ही पाकिस्तान के साथ। वो सिर्फ आज़ादी चाहते हैं, दोनों मुल्कों से। लेकिन ऐसा कभी हो ना सकेगा। दोनों मुल्कों की छाया तले ही उसे हमेशा रहना पड़ेगा।

चौथी बात, कुछ लोग कहते, सुनते पाये जाते हैं कि पाकिस्तान से अगर भारत की जंग हुई तो ये जंग विश्व युद्ध में बदल जायेगी। लेकिन थोड़ा निकट भविष्य की सोच रखते हुए गौर करेंगे तो पता लगेगा कि ये दोनों मुल्कों की आपसी जंग कभी भी विश्व युद्ध में नहीं बदलेगी। हाँ, भारत का नुकसान पाकिस्तान से ज्यादा होगा। पाकिस्तान तो वैसे ही तबाह मुल्क है, हिंदुस्तान ज़रूर सैकड़ों साल पीछे चला जायेगा क्योंकि तेज़ी से तरक्की करते इस मुल्क पर अगर परमाणु हमला हुआ तो नतीजा आप सोच लीजिए। कारण ये है कि चीन मौके की तलाश में है और पाकिस्तान के मार्फ़त वो भारत पे सीधा हमला कर सकता है। इधर रूस हमारा साथ देगा या नहीं, इसमें अब संशय है क्योंकि इंदिरा गांधी के बाद भारत की सरकारों ने अमरीका से नजदीकी ज्यादा बढ़ाई हैं और रूस पीछे हटता गया है। अमरीका भी इस लड़ाई के बहाने पूरी दुनिया के साथ चीन का काम तमाम करने की कोशिश करेगा। तो जंग का मैदान भारत-पाकिस्तान ही बनेगा। चीन को माल का नुकसान हो सकता है, जान का नहीं होगा। सब अपनी-अपनी रोटी सेकेंगे और भारत-पाकिस्तान परमाणु बम की तबाही झेल सकते हैं। आशंका तो यही है। 

पांचवी बात, अभी भारत-पाक में जो तनाव चल रहा है, उसे देखते हुए बैक चैनल से अमरीका दोनों देशों को जमकर हड़का रहा होगा कि बेटे, गलती से भी अगर दोनों की फौजों ने हरकत दिखाई, जिसने पहल की तो इतने बम बरसाऊंगा कि अफगानिस्तान भी तुमसे ज्यादा आबाद मुल्क लगेगा। 

छठी बात, भारत पाकिस्तान आज प्रमाणु सम्पन्न देश हैं। प्रमाणु हमले की क्षमता ले आज कोई अछुता नहीं है। सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि जापान के हिरोशिमा, नागासाकी का क्या हाल हुआ था? वो पुराने समय का प्रमाणु हमला था लेकिन आज के समय में अत्याधुनिक एटम बम तैयार हैं। पाकिस्तान जैसे तबाह मुल्क को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसके पास खोने के लिये कुछ भी नहीं लेकिन भारत के पास खोने के लिये बहुत कुछ है।

तो हे देशभक्ति से ओतप्रोत वीरों। जंग का मैदान फेसबुक स्टेटस या गली-मोहल्ले का कोई खेल नहीं है। हमारे दादा-पडोसी-चाचा-ताऊ में से जिसने पहले वाली जंगें देखी हों उनसे जरूर पूछना। अब बंदूकें, तोप, टैंक तो ठीक एटम बम भी चल जाते हैं। एटम बम समझते हो ना!!  दिमाग की बत्ती जब जल जाए तो हिरोशिमा और नागासाकी के बारे में भी पढ़ लेना। और वो पुराने वाले एटम बम थे। नए वाले तो एक ही बार में उनसे हज़ार गुना ज्यादा तबाही लाएंगे।

अगर मेरी बात अब भी अच्छी ना लगी हो तो फेसबुक पर क्रांति करते रहिए हम भी आपके साथ मिलकर क्रांति करेंगे। भारतीय सरकार और मोदी जी क्या फैसला रखते हैं वही सही होगा। जज्बाती फैसले लेने से अच्छा है कि थोड़ा, हम सभी भारतवासियों के निकट भविष्य की ओर तर्कपूर्ण सोच रखें और कुछ बेहतर सोचें।

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मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

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