"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
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अमेरिका ने जापान से कैसे लिया पर्ल हार्बर के नुक्सान का बदला

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सुनने में ऐसा लगता है कि बात बड़ी आसान और छोटी सी रही होगी। मगर, यहाँ मैं ये कहूँ कि अमेरिका ने पर्ल हार्बर का बदला जापान पर परमाणु हमला करके लिया तो शायद कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि विभिन्न मतों के बीच ये भी माना जाता रहा है कि पर्ल हार्बर पर जिस तरह का कहर जापान के 353 लड़ाकू विमानों ने ढाया था उससे अमेरिका को काफी नुक्सान और अपने ढाई हज़ार सैनिकों को खोने का गम भी देखा था। लेकिन जिस समय ये सब जापान ने हमले किये उस समय जवाबी करवाई अमेरिका ने भी नहीं की। शायद वो इसका बदला सस्ते में नहीं चाहता था।

7 दिसम्बर 1941 का वह दिन था। जब जापान ने पर्ल हार्बर पर अमेरिका के लड़ाकू बेड़े,हथियार, जहाज सब सुबह ही सुबह नष्ट करके निकल लिया था। ऐसा भी प्रतीत होता है कि अमेरिका जर्मनी पर युद्ध की अपनी तैयारी कर रहा था लेकिन युद्ध की एक धुरी की भयानक दास्ताँ जापान ने अपनी ओर भी मोड़ ली थी। वैसे ये तो अमेरिका को भी पता था की जापान साम्राज्यवाद की तरफ निकल लिया है और रूस उसे बराबर टक्कर दे रहा है। पर शायद अब जापान का अंजाम कुछ ज्यादा दहशत भरा होने वाला था।
उस समय अमेरिका अपने मैनहट्टन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, जिसमें प्रमाणु संबंधी हथियारों को एक अन्य आयाम देने की तैयारी में था। कुछ तीन चार सालों में हिटलर ने बर्लिन के बंकर में आत्महत्या कर ली थी, इटली और जर्मनी की हार भी हो चुकी थी, और इधर... मैनहट्टन प्रोजेक्ट अब लगभग पूरा हो चुका था। अब जापान की बारी थी। अमेरिका ने जापान को सन्देश भेज कि- आत्मसमर्पण करो!! साम्राज्यवाद की गति को रोको और अपने देश पर ही टीके रहो।
अब जापान के लिए आत्मसमर्पण करना मानो एक भद्दा सा सन्देश लगा क्योंकि इससे एम्परर पॉवर को खतरा था। जापान का होरोहितो भी इसे मानने से मना कर दिया।
बस फिर क्या था??
अमेरिका ने अपने एनोला गे को तैयार किया और लाद दिए परमाणु बेम उसपर। 6 अगस्त 1945 लिटिल बॉय हिरोशिमा पर और दो दिन के बाद 9अगस्त 1945 फैट मैन नागासाकी पर।
भीषण तबाही, भयानक लाशों का समंदर बने ये दो शहर जापान को झुकने पर मजबूर कर रहे थे। नागरिक बेबस थे, और सरकार बदले के मूड में। लेकिन 5-6 दिन बाद आखिर जापान ने किया- सरेंडर।

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6 अगस्त 1945 लिटिल बॉय हिरोशिमा पर और दो दिन के बाद 9 अगस्त 1945 फैट मैन नागासाकी पर।

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