"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"

हैं त्योहार पर किनके ?

{[['']]}

भारत देश विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, परम्पराओं, मान्यताओं, भाषाओं का देश है। इसी कारण हमारे देश की चर्चा पूरे विश्व में एक मिसाल के तौर पर देखी जाती है। विश्व में शायद ही ऐसा कोई देश भारत जैसा मिले पर मुमकिन ही नहीं होता। 
इसी बीच त्योहारों के लिए चीन ने अपने सामान हमारे देश में उतारे हैं, और हर बार उसका यही काम रहता है। इनमें साज-सजावट, झालर, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, क्रोकरी, फुटवियर, फर्नीचर,मोबाइल, कंप्यूटर, उत्पाद, बर्तन व पटाखे आदि शामिल होते हैं। चीन के उत्पाद को लेकर कमोबेश हर समय पर उठती रही है लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के साथ ही चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का पानी रोकने के साथ ही भारतीय लोग पूरे उबाल पर हैं। मीडिया पर एक अभियान सा चल पड़ा है जिसमे चीन के बने सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है। हैश टैग्स  #BoycottChina #BoycottChineseProducts बड़े जोर शोर के साथ चल रहा है।

कुछ लोग तो चाइना के बने मोबाइल, लैपटॉप लेकर बैठे हैं फिर भी अभियान का हिस्सा बनने से पीछे नहीं दिखाई देते। कहते हैं एप्पल का आईफ़ोन अमेरिका का है, लेकिन अगर मेरी मानो तो वह भी असेंबल्ड इन चाइना लिखा हुआ ही दिखाता है, भई कंपनी ही तो अमेरिका की है कम्पलीट तो चाइना ने ही करके दिया है। अब यदि बात करें मिक्रोमेक्स और सैमसंग की... अगर आपके पास ये या कोई भी दूसरी कम्पनी के कोई भी सामान है तो उनके कवर्स या डाक्यूमेंट्स को भी ध्यान से जरूर देखें। शायद वहां भी आपको मेड इन चाइना लिखा दिखाई दे जाये। कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि चाइना का कारोबार इतना लम्बा चौड़ा है कि वो अपने प्रोडक्ट्स तो बनता ही है दूसरों के प्रोडक्ट्स में भी अपनी छाप छोड़ जाता है। अगर अपने घर में नज़र घुमा के देखें तो बहुत सी चीज़े मिलेंगी जिनमे चाइना का हाथ है। अपने इंडिया के बनाये प्रोडक्ट्स मेड इन इंडिया भी दिखाते है और उसके कुछ कलपुर्जे मेड इन चाइना भी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम इससे चाइना को बढ़ावा दे रहे हैं। 

अभी बात त्योहारों की हैं, माना जाता है कि चाइना हमारे अक्टूबर के त्योहारों से ही लगभग 45-60 हजार करोड़ का मुनाफा कमा जाता है या फिर इससे भी ज्यादा। बेहद चिंता का विषय है कि हम अपनी साज-सजावट, पटाखों, लड़ियाँ व इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान अपने देश में बनी हुई चीजों पर निर्भर नहीं हैं। सब चाइना से मंगाने पड़ते हैं। शायद सरकार को चीन के उत्पादों को लेकर कोई नीति तो तैयार कर लेने कि जरुरत है। अगर सरकार कहती है कि चीन से आयत नहीं करना है तो हम लोग आयत नहीं करेंगे। लेकिन अभी तो हजारों करोडो का सामान व माल भारत आ चुका है। ऐसे में चीन के बायकाट से सिर्फ अपने भारतीय लोगों का ही धंधा चोपट होता नज़र आएगा।

कुल मिलकर ये त्योहारों में अपनी नैतिक भूमिका को समझिये और 

"इस बार दशहरा और दिवाली की
खरीददारी ऐसी जगह से जरुर करें...
जो आपकी खरीददारी की वजह से 
दशहरा और दिवाली मना सकें"

About Admin:

मैं, पीताम्बर शम्भू, आप सभी के समक्ष अपने लेख व विचारों को पेश करते हुए… हाल-फिलहाल के हालातों का ब्यौरा रखने की भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर पसंद आये तो जरूर पढियेगा। . . धन्यवाद…।।

Post a Comment