सही है भाई... कह दो, कहने में क्या जाता है! लेकिन अर्थ कहाँ तक जाता है?, ये बात जरूर समझनी चाहिये। सिर्फ कह देने से काम नहीं चलता, कार्य सचमुच सत्य को ही प्रदर्शित करता नजर भी आना जरूरी है।
"सत्यमेव जयते" हमारे देश का भारत का 'राष्ट्रीय आदर्श वाक्य' है, जोकि "मुण्डकोपनिषद" से लिया गया है, जिसका अर्थ है- "सत्य की सदैव ही विजय होती है" .. और इसलिए इसका आदर करना हर देशवासी का दायित्व बनता है।
लेकिन यह नहीं कि सत्य ना रहते हुए भी हम यही इस्तेमाल करते रहें ये कहाँ का नियम है। मैं कहता हूँ कि प्रधानमंत्री जी के द्वारा यह कहना सही नहीं था, मोदी जी ने शायद मर्यादाओं का उल्लंघन कर किया। २४ तारिख को स्मृति ईरानी जी ने संसद में एक भाषण के दौरान बसपा प्रमुख मायावती जी के रोहित से जुडे एक प्रश्न के जवाब में यह कह दिया था कि - "मायावती जी अगर आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं होंगी तो सिर काटकर आपके चरणों में रख देंगे।" शायद वो अपने एक्टिंग के बहाव में बह गई हो, लेकिन सुना तो सभी ने था कि स्मृति जी ने क्या कहा..!!
पर स्मृति ईरानी जी के प्रशंसक मोदी जी ने उस भाषण को 'रीट्वीट' कर दिया - और वो भी इस कमेंट के साथ कि - "सत्यमेव जयते"..। अब भई, इसमें ऐसी क्या बात हुई। सच्चाई तो नजर नहीं आई, रोहित केस में कमेटी में दलितों को लेकर दिया गया स्मृति का बयान झूठा निकला। ना जाने स्मृति ने किस बहाव में आकर बिना होश बयानबाजी कर दी। और ऊपर से मोदी जी ने ट्वीट कर दिया सत्यमेव जयते। अब ये कहना कहाँ तक उचित सिद्ध हुआ।
"सत्यमेव जयते" यह है कि कल स्मृति ईरानी ने बहस का उत्तर दिया और मायावती के प्रश्न के जवाब भी - पर उसके बाद संसद में मायावती जी ने स्पष्ट कह दिया कि वो स्मृति के जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं - इसलिए अब स्मृति ईरानी अपने कहे पर अमल करें।
यदि "सत्यमेव जयते" यानि सत्य की जीत होती है तो मोदी जी बताइये स्मृति ईरानी अपना सिर कलम कर मायावती के चरणों में रख देना चाहिये था या नहीं। या फिर उनकी बातें और दिया गया बयान सच होता। लेकिन बात तो दोनों ही असत्य रहीं। :(
वैसे स्मृति ने "सत्यमेव जयते" कि अर्थी निकालते हुए सदन में ही एक झूठा निर्लज्ज टेका दे दिया था और गजब की पलटी मारते हुए कह दिया था कि - "मैंने बसपा के सभी नेताओं कार्यकर्ताओं से कहा था अगर जवाब संतोषजनक ना लगे तो मेरा सिर काटकर ले जाएं।"
मोदी जी जरा संभल कर, आपने देश के किसी भी ज्वलंत मुद्दे पर अपनी राय पेश नही की और ये सब कर दिया। ना रोहित, ना जेएनयू, ना देशहित, ना देशद्रोह, ना जाट आंदोलन, ना मुरथल और भी बहुत हैं। लेकिन आप को सत्य की खोज और सत्य की विजय सिर्फ अपनी पार्टी में ही दिखाई देती है। रोहित केस में कम से कम आप सत्य ढूंढने की अपील कर सकते थे। पर नहीं। :(
सत्यमेव जयते!
Do hear this speech by @smritiirani. https://t.co/1qPbKWbzUI
— Narendra Modi (@narendramodi) February 24, 2016